चल कहीं पर चलते हैं,
गाड़ी से नहीं आज पैदल चलते हैं,
जाना कहां है पता नहीं, मंजिल का कोई ठिकाना नहीं,
बस जी करता है अपने संग रहने का,
चल कहीं पर चलते हैं,
औरों के साथ तो बहुत घूमे,
गैरों के साथ भी रिश्ते बुने,
भार्गव थोड़ा निकाल समय अपने लिए,
चल कहीं पर चलते हैं।
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